फगवाड़ा पंजाब सरकार की ओर से राज्य में किसी भी भूमि और संपत्ति के पंजीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की शर्त हटाने का दावा चुनावी स्टंट सिद्ध हो चुका है क्योंकि तहसील परिसरों में संपति के क्रय और विक्रय के लिये आने वाले लोगों से मुख्यमंत्री की घोषणा के तीन महीने बाद भी एन.ओ.सी. की मांग करके परेशान किया जा रहा है। यह खुलासा आल इंडिया एंटी करप्शन फोरम के जिला प्रधान चन्द्रशेखर खुल्लर एवं जिला महासचिव रमन नेहरा ने आज यहां वार्तालाप में किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 2012 में संपत्ति पंजीकरण के लिए एनओसी अनिवार्य कर दी थी। जिसे बीच-बीच में कई बार वापस लिया गया और फिर से लागू किया जाता रहा। रमन नेहरा ने बताया कि साल 2021 में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एनओसी को अनिवार्य बनाने के निर्देश जारी किए लेकिन नीति बनाने का काम राज्य सरकार पर छोड़ दिया था। मौजूदा संसदीय चुनाव से पहले पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसी वर्ष फरवरी माह में लोक लुभावना ऐलान कर दिया कि राज्य में किसी भी भूमि और संपत्ति के पंजीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है। इस संबंधी सरकारी अधिसूचना (नोटीफिकेशन) जारी करने की बात भी उन्होंने मीडिया में कही थी लेकिन भू-राजस्व विभाग के अधिकारी एन.ओ.सी. की शर्त खत्म होने की बात से अभी भी स्पष्ट इंकार करते हैं। जिस वजह से भूमि खरीदने अथवा बेचने वालों को भारी मानसिक वेदना का शिकार होना पड़ रहा है। क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री की बात पर विश्वास करें अथवा अधिकारियों के दावे को सही माने। फोरम के पदाधिकारियों ने तल्ख लहजे में कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार भी अपनी पूर्ववर्ती सरकारों की तरह चुनावी लाभ के लिये जनता की भावनाओं से खेल रही है। जिसे लेकर आम लोगों में गहरी नाराजगी है। जिसका नुकसान मौजूदा सरकार को आज नहीं तो कल उठाना पड़ेगा। खुल्लर और नेहरा ने मुख्यमंत्री से एन.ओ.सी. को लेकर बनी दुविधा के संबंध में तुरंत प्रभाव से स्थिति स्पष्ट करने की मांग भी की है।
चुनावी स्टंट बन कर रह गया मुख्यमंत्री भगवंत मान का एन.ओ.सी. खत्म करने का ऐलान : रमन नेहरा * कहा: तीन महीने बाद भी बिना एन.ओ.सी. के नहीं हो रही रजिस्ट्रियां… vinod Sharma
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