फगवाड़ा एक्सप्रेस न्यूज़ विनोद शर्मा ।।।31अक्टूबर को हर वर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है ताकि वल्लभभाई पटेल की जयंती का सम्मान किया जा सके एक ऐसे नेता जिनकी दूर दृष्टि और दृढ़ निश्चय ने एक एकीकृत भारत के नींव रखी भारत के लोह पुरुष के रूप में प्रसिद्ध पटेल के नेतृत्व में स्वतंत्रता के बाद 560 से अधिक रियासतों का एकीकरण हुआ जिसने आज के इस अखंड राष्ट्र को जन्म दिया एकता दिवस सिर्फ उनकी विरासत को श्रद्धांजलि नहीं है बल्कि भारत की विविधता और एकता में स्थाई प्रतिबद्धता की फोन पूनंर्पृष्टि है जब 1947 में देश आजाद हुआ तब 560 रियासतों का एक जटिल ताना बाना विरासत में मिला प्रत्येक विरासत की अपनी अलग-अलग निष्ठाएं थी पटेल ने इन रियासतो को भारतीय संघ में सम्मिलित करने की चुनौती स्वीकार की एक ऐसा कार्य इसके लिए साहस की जरूरत थी पटेल के दृढ़ निश्चय ने उन्हें लोह पुरुष का खीताब दिलाया एकता के बिना मनुष्य बल कोई शक्ति नहीं है जब तक वह उचित रूप से संगठित ना हो तब तक वह एक आध्यात्मिक शक्ति बन जाता है 2014 में भारतीय सरकार ने पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता के दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की इसका उद्देश्य देश की एकता को जीवित करना था और श्रेष्ठ भारत को सम्मानित करना था इस दिन पूरे देश में समारोह आयोजित किए जाते हैं इसमें मुख्य रूप से गुजरात में statue of unityएकता नगर में समारोह होता है जो भारत की शक्ति एकता और साहस का प्रतीक है लेकिन आज भारत क्षेत्रीय असमानताओं और सामाजिक भावनाओं जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है तब एकता दिवस का संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है यह एक औपचारिक उत्सव नहीं है जे राष्ट्रीय उत्सव हॉट प्रगति की भावना को पुनर्जीवित करता है 31 अक्टूबर को जब भारत एकता दिवस मनाता है पटेल की कल्पित एकता कोई स्थिर आदर्श नहीं बल्कि जीवंत शक्ति है उनके आज भी यह शब्द गूजते है कार्य ही पूजा है श्रम ही ईश्वर है जो व्यक्ति सही भावना से काम करता है वह हमेशा प्रसन्न रहता है