[भगवान श्री कृष्ण गोपियों के घर का माखन आखिर क्यों चुरा कर खाते थे जबकि माता यशोदा के घर में माखन की कमी नहीं थी यह उत्तर फगवाड़ा न्यूज़ ने अपने पाठकों से फेसबुक पर किया था लेकिन इसका कोई सही उत्तर उत्तर नहीं मिला अब आप सुनिए इसका सही उत्तर और सही उत्तर सुनकर हो जाओगे आप आनंद विभोर और बन जाओगे भगवान श्री कृष्ण के भगत सुन ले कृष्ण प्रेमी और साधु संत ऐसा उत्तर जो नेट में भी उपलब्ध नहीं है कुछ लोगों ने नेट से उत्तर निकाल कर भेज दिया था लेकिन वह गलत था फगवाड़ा एक्सप्रेस न्यूज़ पर पढ़ें सही उत्तर
महाभारत में, दुर्वासा ऋषि ने द्रौपदी से भोजन मांगा था। दुर्वासा ऋषि अपने दस हज़ार शिष्यों के साथ पांडवों के पास पहुंचे, जब द्रौपदी ने अक्षय पात्र से भोजन कर लिया था और उसे धोकर रख दिया था। अक्षय पात्र, जो सूर्य देव से प्राप्त हुआ था, तब तक भोजन प्रदान करता था जब तक द्रौपदी भोजन न कर ले। दुर्वासा ऋषि के आगमन से पांडवों में संकट पैदा हो गया क्योंकि उन्हें डर था कि ऋषि क्रोधित होकर उन्हें श्राप दे सकते हैं, जैसा कि दुर्योधन ने दुर्वासा को पांडवों को परेशान करने के लिए भेजा था।
इस संकट से निकलने के लिए, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को याद किया, जिन्होंने तुरंत प्रकट होकर भोजन मांगा। जब द्रौपदी ने अक्षय पात्र दिखाया, तो उसमें एक चावल का दाना बचा हुआ था, जिसे कृष्ण ने खा लिया, जिससे ब्रह्मांड के सभी जीवों का पेट भर गया। इस चमत्कार से, दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्य संतुष्ट हो गए और उन्होंने पांडवों को श्राप नहीं दिया।
[भगवान कृष्ण के पेट में ब्रह्मांड दिखाया गया है जो चीज भी भगवान श्री कृष्ण खाते हैं वह ब्रह्मांड में चला जाता था जिससे संसार के सभी जीवो का कल्याण हो जाता था और संसार के सभी जीव संतुष्ट हो जाते थे लेकिन अब सवाल पैदा होता है की वह अपने घर माता यशोदा का माखन खाकर पूरे ब्रह्मांड को संतुष्ट क्यों नहीं कर सकते थे क्योंकि वह माखन भी आखिर पूरे ब्रह्मांड में जाना था माता यशोदा में भाव था मेरा बेटा माखन खाकर तगड़ा और बड़ा हो जाएगा बह माखन पूरे ब्रह्मांड में असर नहीं करता था सिर्फ गोपियों का चुराकर खाया माखन पूरे विश्व के जीवों का कल्याण करता था गोपियों के घर का चुरा कर माखन खाना सर्व जीवो के कल्याण के लिए था इसीलिए वह गोपियों के घरों से माखन चुराकर खाकर विश्व के सभी जीवो का कल्याण करते थे और उनके पेट की भूख मिटाते थे
जय श्री कृष्ण
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